जम्मू कश्मीर में हिंसा का दौर खत्म…अब भाईचारे के युग की शुरुआत

जम्मू कश्मीर में हिंसा का दौर खत्म…अब भाईचारे के युग की शुरुआत

जम्मू-कश्मीर की सड़कों पर होने वाली हिंसा समाप्त हो गई है। अब प्रदेश में शांति और आपसी सौहार्द के युग की शुरुआत हुई है। ऐसे तत्व जो कश्मीर में बार-बार हिंसा का आह्वान करते हैं, उससे व्यापार और शैक्षिक माहौल खराब होता है। यह बात वीरवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने क्लस्टर विश्वविद्यालय में सूफीवाद पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में कही।

सम्मेलन को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी संबोधित किया। उपराज्यपाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की सड़कों पर अब हिंसा नहीं होती है। बंद की कॉल भी नहीं होती है। इससे कारोबार सुचारू चल रहा है। स्कूल-कॉलेज भी 365 दिन भी चल रहे हैं। यहां लोग आपसी भाईचारे के साथ रह रहे हैं।

33 साल बाद यहां निकले मुहर्रम के जुलूस का जिक्र करते हुए कहा कि खुशी हो रही है कि आठवां मुहर्रम का जुलूस दशकों बाद निकाला गया और शांतिपूर्ण तरीके से श्रीनगर में संपन्न हुआ। धार्मिक आयोजनों पर किसी भी तरह की राजनीति करना गलत होगा।

उपराज्यपाल ने कहा कि अब लोग रात 10 बजे पोलो व्यू बाजार में खरीदारी करने जाते हैं और बच्चे झेलम नदी के किनारे आइसक्रीम खाने जाते हैं, जबकि कुछ गिटार बजाते हैं या गाना गाते हैं। अब शाम ढलते ही लोग घरों में बंद नहीं हो जाते हैं।

सड़कों और बाजारों में चहल-पहल देर रात तक देखने को मिलती है। यह कश्मीर में बड़ा बदलाव सामने आया है। मुझे लगता है कि श्रीनगर और कश्मीर के लोग अब खुशहाल हैं। एलजी ने हजरत इमाम हुसैन और अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

विरासत हमें सिखाती है प्रेम और मानवता: आरिफ मोहम्मद खान 

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सूफीवाद-समुदायों के बीच एक पुल विषय पर आयोजित सम्मेलन में कहा कि एकता और एकता की भावना को मजबूत करने में जम्मू-कश्मीर के ऋषि मुनि, सूफी और संतों का अमूल्य योगदान रहा है।

उनकी शिक्षाएं और लेखन मानवता के लिए प्रकाश की किरण बनी रहेंगी। कहा कि हमारी प्राचीन विरासत हमें शांति, प्रेम और मानवता सिखाती है। सभी धर्मों, सभी संप्रदायों के लोग एक परिवार हैं।

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